Goswami Tulsidas के अनमोल विचार Goswami Tulsidas Inspirational Quotes in Hindi

                                   

1. जगाया तो उसी को जा सकता है जो सो रहा हो; किंतु जो जागते हुए भी जानबूझकर सोने का बहाना कर रहा है; उसे जगाने से क्या लाभ?

2. बिना पानी के बादलों के गरजने से बरसात नहीं होती। सच्चे वीर और पहलवान बेवजह नहीं दहाडते हैं, वे युद्ध में अपना शौर्य दिखाते हैं।

3. मित्र से याचना करने से प्रेम बढ़ता नहीं, घटता है।

4. जो अपनों को त्याग कर दुश्मनों के शिविर में चला जाता है। उसी के पुराने शिविर के अपने ही साथी दुश्मन को मारने के पश्चात उसे भी मार डालते हैं।

5. सम्मान चाहने वाला व्यक्ति मांग नहीं सकता, मांगने वाले का सम्मान नहीं रह सकता।

6. सत्यवादी व्यक्ति कभी झूठे वचन नहीं देते। दिए हुए वचन का पालन करना ही उनकी महानता का चिन्ह होता है।

7. सम्मान की रक्षा भी हो, मांगा भी जाए और प्रियतम का नृत्य नया-नया स्नेह भी बढे - ये तीन विपरीत बातें हैं।

8. पतिव्रता स्त्री के आंसू धरती पर बेकार नहीं गिरते, वे उनका विनाश करते हैं जिनके कारण वश से वे आंखों से बाहर निकलते हैं।

9. किसी भी एक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है:
a. उदास व दुखी ना होना
b. अपने कर्तव्य के पालन करने की क्षमता
c. कठिनाइयों का बलपूर्वक सामना करने की क्षमता

10. धर्म किसी देश के सभी लोगों को एकजुट रखने में समर्थ होता है।

11. अभिमानी व्यक्ति चाहे वह आपका गुरु, पिता व उम्र अथवा ज्ञान में बड़ा भी हो, उसे सही दिशा दिखाना अति आवश्यक होता है।

12. जिनके पास धर्म का ज्ञान है वे सभी कहते हैं कि सत्य ही परम धर्म है।

13. उत्साह में असीमित शक्ति होती है। उत्साहित व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव नहीं होता।

14. सभी का चेहरा उनकी अंदरुनी विचारधाराओं व भावनाओं का दर्पण होता है। इन विचारधाराओं व भावनाओं को छुपाना लगभग असंभव होता है और देखने वाला उन्हें भाप सकता है।

15. उत्साहहीन, निर्बल व दुख में डूबा हुआ इंसान कोई अच्छा कार्य नहीं कर सकता। अतः वह धीरे-धीरे दुख की गहराइयों में डूब जाता है।

16. पिता, गुरु, ज्येष्ठ भाता जो धर्म पालन का ज्ञान देते हैं वो सभी पिता के समान होते हैं।

17. बड़े कहते हैं कि विद्वानों व बुद्धिमानों से परामर्श ही विजय का आधार होता है।

18. जो इंसान निरंतर सुख करता रहता है, उन्हें जीवन में कभी नहीं सुख मिलता।

19. दुष्टो व राक्षसों से समझौते की बात या नम्र शब्दों से कोई लाभ नहीं हो सकता। इसी प्रकार किसी धनवान व्यक्ति को छोटा मोटा उपहार देकर उसे शांत नहीं किया जा सकता।

20. मैं रिश्तेदारों की आचरण से भली भांति परिचित हूं। वो अपने रिश्तेदारों की परेशानियों में आनंदित होते हैं।

21. दया, सद्भावना और मानवता महान पुण्यकारी गुण है।

22. उदासी अत्यंत बुरी चीज़ होती है। हमें कभी भी अपने मस्तिष्क का नियंत्रण उदासी के हाथ में नहीं देना चाहिए। उदासी एक व्यक्ति को उसी प्रकार मार डालती है जैसे की एक क्रोधित सांप किसी बच्चे को।

23. अपने जीवन का अंत कर देने से कोई अच्छाई नहीं होती, सुख और आनंद का रास्ता जीवन से ही निकलता है।

24. राजा बनने के लिए तीन बातों की आवश्यकता होती है a.गुरु का आशीर्वाद
b. मंत्रियों और साथियों का सहयोग
c. प्रजाजनों का स्नेह और विश्वास

25. चरित्रहीन व्यक्ति की मित्रता उस पानी की बूंद की भांति होती है; जो कमल के फूल की पत्ती पर होते हुए भी उस पर चिपक नहीं सकता।

26. यदि जीवित रहेंगे तो सुख और आनंद की प्राप्ति कभी-ना-कभी अवश्य होगी।

27. अत्यधिक लंबे समय की दूरी या ओझलपन से प्रेम व स्नेह में कमी आ जाती है।

28. सर्वनाश की प्रमुख 3 कारण इस प्रकार है:
a. दूसरों के धन की चोरी 
b.दूसरे की पत्नी पर बुरी नजर 
c.और अपने ही मित्र की चरित्र व अखंडता पर शक

29. धन, सुख, संपत्ति व समृद्धि सभी धर्म के मार्ग में ही प्राप्त होते हैं।

30. उदास न  होना, कुंठित न होना अथवा मन को टूटने ना देना ही सुख और समृद्धि का आधार है।

31. वीर व बलवान पुरुष क्रोधित नहीं होते।

32. जो किसी से धन व सामग्री की सहायता लेने के पश्चात अपने दिए हुए वचन का पालन नहीं करता, तो वह संसार में सबसे अधिक बुरा इंसान माना जाता है।

33. क्रोध हमारा शत्रु है और हमारे जीवन का अंत करने में सामर्थ्य है। क्रोध हमारा ऐसा शत्रु है जिसका चेहरा हमारे मित्र जैसा लगता है। क्रोध एक तलवार की तेज धार की भाँति है। क्रोध हमारा सब कुछ नष्ट कर सकता है।

34. जब तक इंसान के मन में काम की भावना, गुस्सा, अहंकार और लालच भरे हुए होते हैं। तब तक एक अज्ञानी व्यक्ति और मूर्ख व्यक्ति में कोई अंतर नहीं होता है। दोनो एक जैसे होते हैं।

35. समय ही व्यक्ति को सर्वश्रेष्ठ और कमजोर बनाता है।

36. मीठे वचन से चारों ओर सुख फैलाता हैं, किसी को भी वश में करने का ही ये एक मंत्र है इसलिए इंसान को चाहिए कि कठोर वचन छोड़कर मीठे वचन बोलने का प्रयास करें।

37. मुखिया को मुख समान होना चाहिए जो खाने पीने को तो अकेला है लेकिन विवेकपूर्ण  तरीके से सब अंगों का पालन पोषण करता है।

38.  जो होना है उसे कोई रोक नहीं जा सकता इसलिए आप सभी आशंकाओं के तनाव से मुक्त होकर अपना काम करते रहो।

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