महाभारत से आयु बढ़ाने की शिक्षा

                           


जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु होना तो तय है। कौन कितने दिन जीवत रहेगा ये सब ईश्वर पहले ही तय कर चुका होता है लेकिन शास्त्रों में ये भी कहा गया है, कि हमारे कर्म आयु में परिवर्तन कर सकते हैं। बुरे कर्म शीघ्र मृत्युु का कारण बनते हैं, तो वहीं अच्छे कर्मो से व्यक्ति अपनी आयु बढ़ा सकता है। आचार्य लक्ष्मीनरायण शास्त्री ने महाभारत के दौरान महात्मा विदुर द्वारा हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र को बताई गई छह नीतियों का वर्णन किया, जो आज भी अपनाई जाएं, तो मनुष्य अपनी आयु बढ़ा सकता है।

 कम बोलें -
 जो व्यक्ति ज्यादा बोलता हैं, उनकी आयु कम होती है। अधिक बोलने वाले का सम्मान और जीवन दोनों ही कम होता है। ऋषि मुनियों की आयु लंबी होने की एक वजह यह भी मानी जाती है कि वह कम बोला करते थे।

 न करें अभिमान -
 अभिमान मनुष्य की आयु को कम करता है। जिस व्यक्ति में यह अहंकार आ जाता है कि जो है वही और दूसरों का अपमान करने लगता है, उसका असमय ही अंत होता है। कंस और रावण भी अपने अहंकार के कारण ही असमय मारे गए थे।


 क्रोध पर रखें काबू -
 मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन क्रोध होता है। इंसान क्रोध में सोचने-समझने की शक्ति खो देता है, जिससे खुद का ही अहित कर बैठता है। क्रोध में मनुष्य अपनी जान को भी जोखिम में डाल लेता है, इसलिए क्रोध पर काबू रखना चाहिए।

 सदैव रखें त्याग की भावना -
 जिस मनुष्य को अपनी आयु बढ़ाने की इच्छा हो उसे अपने अंदर त्याग की भावना को बढ़ाना चाहिए। जिस व्यक्ति में त्याग भावना नहीं रहती है वह लालच में फंसकर अपना और अपने कुल परिवार का अंत कर लेता है। इसका बड़ा उदाहरण महाभारत के दुर्योधन हैं। यदि दुर्योधन 5 गांवों के लोभ का त्याग कर देता, तो महाभारत का महायुद्ध नहीं होता और वह रण में मारा नहीं जाता।

 स्वार्थ -
 स्वार्थ भी आयु को कम करता है। स्वार्थी मनुष्य हमेशा अपने हित को साधने में लगा रहता है, जिससे उसके कई शत्रु हो जाते हैं। इनमें संतुष्टि का अभाव होता है, जो धीरे-धीरे इनकी आयु को कम करता है।

 किसी को न दें धोखा -
 किसी को धाेखा देने से भी आयु कम होती है। जो व्यक्ति मित्र को धोखा देता है, उसे शास्त्रों में अधर्मी और उसके जीवन को नरक समान बताया गया है। महाभारत काल में दुर्योधन का परम मित्र कर्ण था। कर्ण ने कभी भी दुर्योधन को उसकी कमियों को नहीं बताया बल्कि उसके गलत कामों में साथ देता रहा परिणा यह हुआ कि मित्र सहित वह भी मारा गया। मित्र को सही राह ना दिखाना भी धोखा है।

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