जयशंकर प्रसाद के अनमोल विचार Jaishankar Prasad Quotes in Hindi

                                   


1. अधिक हर्ष और उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है।

2. निष्फल क्रोध का परिणाम होता है, रो देना।

3. किसी के बुझने से रोना है और किसी के जल उठने में हंसी।

4. सेवा सबसे कठिन व्रत है।

5. मानव मनोवृत्तियों प्रायः अपने लिए एक केंद्र बना लिया करती हैं। जिसके चारों ओर वह आशा और उत्साह से नाचती हैं।

6. सहनशील होना अच्छी बात है, पर अन्याय का विरोध करना उससे भी उत्तम है।

7. केवल महत्ता का प्रदर्शन, मन पर अनुचित प्रभाव का बोझ है।

8. जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है प्रसन्नता। यह जिसने हासिल कर ली; उसका जीवन सार्थक हो गया।

9. स्त्री जिससे प्रेम करती है, उस पर सरबस वार देने को प्रस्तुत हो जाती है। यदि वह भी उसका प्रेमी हो तो स्त्रीवय के हिसाब से सदैव शिशु, कर्म में वयस्क और अपनी सहायता में निरीह है; विधाता का ऐसा ही विधान है।

10. पुरुष क्रूरता है तो स्त्री करुणा है।

11. स्त्री का हृदय प्रेम का रंगमंच है।

12. आतंक का दमन करना प्रत्येक राजपुरुष का कर्म है।

13. जहां स्वतंत्रता नहीं; वहां पराधीनता का आंदोलन है।

14. जो अपने कर्मों को ईश्वर का कर्म समझकर करता है; वही ईश्वर का अवतार है।

15. प्राकृतिक ईश्वरीय नियम, विभूतियों का दुरुपयोग देखकर विकास चेष्टा करता है; यही उत्क्रांती कहलाती है।

16. पुरुषार्थ ही सौभाग्य को सींचता है

17. प्रत्येक व्यक्ति अपनी छूंछी महत्ता पर इतराता हुआ। दूसरो  को नीचा, अपने से छोटा समझता है। जिससे सामाजिक विषमता का विस्मय प्रभाव फैल रहा है।

18. हम जितनी कठिनता से दूसरों को दबाए रखेंगे; उतने ही हमारी कठिनता बढ़ती जाएगी।

19. सत्य इतना विराट है कि हम क्षुद्र जीव व्यवहारिक रूप से उसे संपूर्ण ग्रहण करने में प्रायः असमर्थ प्रमाणित होते हैं।

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