Shahid Kapoor के अनमोल विचार Shahid Kapoor Quotes in Hindi
1. आपको दबाव तब महसूस होता है, जब आप कंपटीशन रखते हैं।
2. लोकप्रियता एक्टर बनने के साथ ही आ जाती है।
3. इंडस्ट्री में आप जितना लोकप्रिय होते हैं, उतने ही सफल होते हैं।
4. मैं नहीं चाहता कि मेरी फिल्म रिलीज होने के बाद दर्शकों को लगे कि मैंने उन को बेवकूफ बनाया है। उन्हें ये नहीं लगना चाहिए कि इस इंसान ने वादा किया था कि ये इसके करियर की सबसे बेहतरीन फिल्म होगी, जब की हकीकत इसे निश्चित रुप से पता थी।
5. यह मुमकिन ही नहीं है कि आप की हर फिल्म आपके करियर की बेहतरीन फिल्म साबित हो। मुमकिन है तो ये कि आप अच्छी फिल्में कर सकते हैं, विश्वसनीय फिल्में कर सकते हैं। पर यह भी उतना ही स्वाभाविक है कि आप सभी फिल्मों के भी हिस्सा बनेंगे।
6. फिल्म इंडस्ट्री में अक्सर लोग एक दूसरे के प्रति प्यार दर्शाते हैं। जो बनावटी होता है। मजबूरी में एक परिवार जैसा बनना पड़ता है।
7. मैं स्टार सन नहीं हूं। मैं एक एक्टर का बेटा हूं। और एक स्टार तथा एक एक्टर में बहुत फर्क होता है।मुझे एक भी वो फायदा नहीं मिला, जो एक स्टार के यहां पैदा होने वाले बच्चे पाते हैं। वो तो उसी समय स्टार हो जाते हैं, जब पैदा होता है।
9. कभी-कभी पेपर पर फिल्म कमाल की लगती है लेकिन जब आप उसे बनाते हैं तो कभी-कभी गड़बड़ हो जाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि लोग उससे भी अधिक शानदार फिल्म लेकर पर्दे पर आते हैं, जितना वो पेपर पर नजर आती है। लेकिन इस बारे में फैसला लेने का मौका आपके पास उसी वक्त होता है, जब आप स्क्रिप्ट पढ़ रहे होते हैं।
10. लोग फिल्मे तब देखते हैं, जब वो बनकर तैयार हो जाती है लेकिन मेरे लिए तो यह पेपर पर ही तैयार हो जाती है।
11. मैंने जोखिम लिया और वो किया जिसे करने में लोग डरते हैं।
12. मेरा यही वसूल है कि हमेशा अपने अंदर की आवाज सुनीए। अगर आपके अंदर कोई चीज जोर दे रही है हो, तो उसे अनसुनी मत कीजिए।
13. कोई भी एक्टर जहाज का कैप्टन नहीं होता। आप उसी ship पर सवार होते हैं; आप उसके एक बड़े सहभागी होते हैं, लेकिन आप ship कैप्टन नहीं है। इसके अलावा भी बहुत सारे कारण होते हैं, जो किसी भी प्रोडक्ट के अंतिम परिणाम को प्रभावित करते हैं।
14. ऐसा भी बहुत बार होता है कि आपकी पसंद अच्छी होने के बावजूद फिल्म उस तरह का रुप नहीं ले पाती जैसे आप उम्मीद कर रहे होते हैं। मेरे साथ ऐसा कई बार हुआ है।
15. कभी कभी आपको ऐसी स्थिति को स्वीकारना पड़ता है। उस समय प्राथमिकता देखना जरुरी होता है और ये कि कौन अधिक महत्वपूर्ण है। आप ही तय करते हैं कि मेरे लिए ये ज्यादा अहम है या और फिर उसे अहमियत देते हैं। फिर जो कुछ भी होता है, वो उस स्थिति का स्वाभाविक परिणाम होता है।
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