Kabir Das के अनमोल विचार Kabir Das Some Thought Provoking Quotes in Hindi
1. गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर है, क्योंकि गुरु की शिक्षा के कारण ही भगवान् के दर्शन होते हैं।
2. जिस तरह चिड़िया के चोंच भर पानी ले जाने से नदी के जल में कोई कमी नहीं आती, उसी तरह जरूरतमंद को दान देने से किसी के धन में कोई कमी नहीं आती ।
3. पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो , उसे किसी से मांगो मत।
4. जो कल करना है उसे आज करो और और जो आज करना है उसे अभी करो , कुछ ही समय में जीवन ख़त्म हो जायेगा फिर तुम क्या कर पाओगे ?
5. दुःख के समय सभी भगवान् को याद करते हैं पर सुख में कोई नहीं करता।यदि सुख में भी भगवान् को याद किया जाए तो दुःख हो ही क्यों ?
6. इस संसार का नियम यही है कि जो उदय हुआ है,वह अस्त होगा।जो विकसित हुआ है वह मुरझा जाएगा।जो छिना गया है वह गिर पड़ेगा और जो आया है वह जाएगा।
7. जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने ज्यादातर पास ही रखना चाहिए।वो तो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बता कर हमारे स्वभाव को साफ़ करता है।
8. ना तो अधिक बोलना अच्छा है, ना ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है।जैसे बहुत अधिक वर्षा भी अच्छी नहीं और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं है।
9. जो प्रयत्न करते हैं, वे कुछ न कुछ वैसे ही पा ही लेते हैं जैसे कोई मेहनत करने वाला गोताखोर गहरे पानी में जाता है और कुछ ले कर आता है।लेकिन कुछ बेचारे लोग ऐसे भी होते हैं जो डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं और कुछ नहीं पाते।
10. मन में धीरज रखने से सब सम्भव होता है ।अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेगा ।
11. इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है।जो सार्थक को बचा लेंगे और निरर्थक को उड़ा देंगे।
12. अच्छे समय में भगवान् को भूल गए, और संकट के समय ही भगवान् को याद किया। ऐसे भक्त कि प्रार्थना कौन सुनेगा ?
13. जिस तरह जमे हुए घी को सीधी ऊँगली से निकलना असम्भव है, उसी तरह बिना मेहनत के लक्ष्य को प्राप्त करना सम्भव नहीं है।
14. संत केवल भाव व ज्ञान की इच्छा रखते हैं,उन्हें धन का कोई लोभ नहीं होता।जो व्यक्ति साधू बनकर भी धन-संपत्ति के पीछे भागता है, वह संत नहीं हो सकता।
15. जो व्यक्ति इस संसार में बिना कोई कर्म किए पूरी रात को सोते हुए और सारे दिन को खाते हुए ही व्यतीत कर देता है। वो अपने हीरे के समतुल्य अमूल्य जीवन को कौड़ियों के भाव व्यर्थ ही गवा देता है ।
16. कुछ लोग भगवान का ध्यान फल और वरदान की आशा से करते हैं, भक्ति के लिए नहीं।ऐसे लोग भक्त नहीं; व्यापारी हैं, जो अपने निवेश का चैगुना दाम चाहते हैं।
17. पराई स्त्री के साथ प्रेम प्रसंग करना लहसून खाने के समान है।उसे चाहे कोने में बैठकर खाओ पर उसकी गंध दूर तक फैल जाती है।
18. मनुष्य का मन एक कौआ की तरह होता है, सबकुछ भी उठा लेता है।लेकिन एक ज्ञानी का मन उस हंस के समान होता है जो केवल मोती खाता है।
19. कुछ लोग बहुत पढ़-लिखकर दूसरों को उपदेश देते हैं, लेकिन खुद अपनी सीख ग्रहण नहीं करते।ऐसे लोगों की पढ़ाई और ज्ञान व्यर्थ है।
20. व्याकुल अवस्था में किसी के कही हुई बातों का अर्थ नहीं निकलना चाहिए।ऐसी हालत में व्यक्ति शब्दों का सही अर्थ समझने में असमर्थ होता है।मूर्ख लोग इस तथ्य को नहीं जानते, इसलिए किसी भी बात पर अपना संतुलन खो देते हैं ।
21. ध्यान होता है मन को स्थिर करने से, क्रियाएं करने से नहीं।
22. दूसरों की देखादेखी कुछ लोग सम्मान पाने के लिये परमात्मा की भक्ति करने लगते हैं, पर जब वह नहीं मिलता तब वह मूर्खों की तरह इस संसार में ही दोष निकालने लगते हैं।
23. अज्ञानी व्यक्ति काम कम और बातें अधिक करते हैं।ऐसे लोग खुद अपना तर्क रखने के बजाय सुनी सुनाई बातों को ही रटते रहते हैं।
24. तेरा घर कसाई के पास है तो क्या ?उसकी हरकतों के लिए तू ज़िम्मेदार नहीं है।अर्थात, अपने कर्मों का फल सबको खुद ही भुगतना पड़ता है।
25. जहाँ पर आपकी योग्यता और गुणों का प्रयोग नहीं होता, वहाँ आपका रहना बेकार है।जैसे- ऐसी जगह धोबी का क्या काम, जहाँ पर लोगों के पास पहनने को कपड़े ही नहीं हों?
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