Bhagat Singh के अनमोल विचार Bhagat Singh Quotes in Hindi

                                     
1. निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये दोनों क्रांतिकारी सोच के दो मुख्य लक्षण हैं।

2. क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी को, एक कभी ना खत्म होने वाली जन्मसिद्ध अधिकार है। श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है।

3. लोगों को कुचलकर भी आप उनके विचारों को नहीं मार सकते हैं।

4. मैं इस बात पर जोर देता हूं कि मैं महत्वाकांक्षा, उम्मीद और जिंदगी के प्रति आकर्षण से भरा हूं परंतु जरूरत पड़ने पर ये सब त्याग कर सकता हूं और यही सच्चा बलिदान है।

5. सामान्य तौर पर लोग चीजें जैसी हैं, उसके आदि हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं हमें निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी की भावना में बदल लेना है।

6. भूल करने में पाप तो है ही, परंतु उसे छुपाने में उससे बड़ा पाप है।

7. राख का हर कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आज़ाद है।

8. प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।

9. जिंदगी तो अपने दम पर जी जाती है ,
दूसरों के कंधो पर जनाजा उठा करते हैं।

10.  जो भी व्यक्ति विकास चाहता है उसे हर रुढ़ीवादी चीज की आलोचना करनी होगी। उस पर अविश्वास करना होगा और उसे चुनौती देनी होगी।

11. मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ है कि अपनी कलम से अगर मैं इश्क लिखना चाहूं तो इंकलाब लिखा जाता है।

12. कानून की पवित्रता तब तक बनी रह सकती है, जब तक की वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करें।

13. किसी भी कीमत पर बल का प्रयोग ना करना काल्पनिक आदर्श है और नया आंदोलन जो देश में शुरू हुआ है और  जिसके आरंभ कि हम चेतावनी दे चुके हैं। वो गुरु गोविंद सिंह और शिवाजी, कमाल पाशा, राजा खान, वाशिंगटन, गैरीबाल्डी, लाफयटे और लेनिन के आदर्शों से प्रेरित है।

14. इंसान कभी कुछ करता है, जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित है, जैसा की हम विधान सभा में बम फेंकने के लिए लेकर थे।

15. मैं एक इंसान हूं और जो कुछ भी इंसानियत को प्रभावित करता है। उससे मुझे मतलब है।

16. यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज को बहुत जोरदार होना होगा। जब हमने बम गिराया था तो हमारा उद्देश्य किसी को मारना नहीं था। हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था। अंग्रेजो को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आजाद करना चाहिए।

17. जरुरी नहीं था की क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो, यह बम और पिस्तौल का मार्ग नहीं था।

18. मेरे सीने में जो जख्म है, वो तो फूल के गुच्छे हैं;
 हां! हम पागल हैं
 पागल ही रहने दो, केवल पागल ही अच्छे हैं।

18. लोगों को आपस में लड़ने से रोकने के लिए वर्ग चेतना की जरूरत है। गरीब मेहनतकश किसानों को स्पष्ट समझा देना चाहिए कि तुम्हारे असली दुश्मन पूंजीपति है। इसलिए तुम्हें उनके हथकंडों से बचकर रहना चाहिए और इनके हत्थे चढ़ कर कुछ न  करना चाहिए। संसार के सभी गरीबों के चाहे वो किसी भी जाति, रंग, धर्म या राष्ट्र के हों; अधिकार एक ही है।

 तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम धर्म, रंग, नस्लें और राष्ट्रीयता व देश के भेदभाव को मिटाकर एकजुट हो जाओ और सरकार की ताकत अपने हाथ में लेने का यत्न करो। इन यत्नो से तुम्हारा नुकसान कुछ नहीं होगा, इससे किसी दिन तुम्हारी जंजीर कट जाएगी और तुम्हें आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी।

19. जब गतिरोध की स्थिति लोगों को अपने शिकंजे में जकड़ लेती है तो किसी भी प्रकार की तब्दीली से हिचकिचाते नहीं है। इस जड़ता और निष्क्रियता को तोड़ने के लिए एक क्रांतिकारी स्पिरिट पैदा करने की जरूरत होती है। अन्यथा पतन और बर्बादी का वातावरण छा जाता है। लोगों को गुमराह करने वाली प्रतिक्रियावादी शक्तियां जनता को गलत रास्ते पर ले जाने में सफल हो जाते हैं और उसमें गतिरोध आ जाता है।
    इस परिस्थिति को बदलने के लिए यह जरूरी है कि क्रांति की स्थिति ताजा की जाये, इंसानियत की रूह में हरकत पैदा हो।

20. दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत;
 मेरी मिट्टी से भी खुशबू ए- वतन आएगी।

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