चाणक्य के अनमोल विचार Chankay QuotesinHindi

                                 
                   


1. ज्ञान से राजा अपनी आत्मा का परिष्कार करता है, सम्पादन करता है।

2. जल अपच की दवा है, जल चैतन्य का निर्माण करता है, यदि उसे भोजन पच जाने के बाद पीते हैं। पानी को भोजन के बाद तुरंत पीना  विष पिने के समान है।

3. वृद्धजन की सेवा ही विनय का आधार है।

4. सुख का आधार धर्म है।धर्म का आधार धन है।धन का आधार राज्य है।राज्य का आधार अपनी इन्द्रियों पर विजय पाना है।

5. शरीर पर मालिश करने के बाद, श्मशान में चिता का धूआं शरीर पर आने के बाद संभोग करने के बाद, दाढ़ी बनाने के बाद जब तक आदमी नहा ना ले वह चांडाल रहता है।

6.   भविष्य में आने वाली मुसीबतों के लिए धन एकत्रित करें। ऐसा ना सोचे की धनवान व्यक्ति को मुसीबत कैसी? जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन भी तेजी से घटने लगता है।

7. दूध के लिए हथिनी पालने की जरुरत नहीं होती।अर्थात् आवश्कयता के अनुसार साधन जुटाने चाहिए।

8. शाक से बीमारी, दूध से शरीर, घी से वीर्य और मांस से मांस की वृद्धि होती है।

9. मनुष्य की वाणी ही विष और अमृत की खान है।

10. यह बेहतर है कि आप जंगल में झाड़ के नीचे रहे,जहां बाघ और हाथी रहते हैं; उस जगह रहकर आप फल खाएं और जलपान करें, आप घास पर सोए और पुराने पेड़ों की खाले पहने लेकिन आप अपने सगे संबंधियों में ना रहे यदि आप निर्धन हो गए हैं।

11. दुष्ट स्त्री, बुद्धिमान व्यक्ति के शरीर को भी निर्बल बना देती है।

12. जिनके भेजे खाली है, वो कोई उपदेश नहीं समझते। यदि बांस को मलय पर्वत पर उगाया जाए तो भी उसमें चंदन के गुण नहीं आते।

13. सुबह उठकर दिनभर जो दाव आप लगाने वाले हैं उसके बारे में सोचें। दोपहर को अपनी मां को याद करें। रात को चोरों को ना भूलें।

14. वो कमीनी लोग जो दूसरों के छिपे दोषो को उजागर करते हुए फिरते हैं। उसी तरह नष्ट हो जाते हैं जिस तरह कोई सांप चीटियों के टीलो में जाकर मर जाता है।

15. स्वाभिमानी व्यक्ति प्रतिकूल विचारों को सम्मुख रखकर दुबारा उन पर विचार करना चाहिए।

16. शासक को स्वयं योग्य बनकर योग्य प्रशासकों की सहायता से शासन करना चाहिए।

17. ऐसे लोगों से बचें जो आपके मुंह पर मीठी बातें करते हैं, लेकिन पीठ पीछे आपको बर्बाद करने की योजना बनाते हैं। ऐसा करने वाले उस विष के घड़े के समान है जिसकी ऊपरी सतह दूध से भरी है।

18. उधार, दुश्मन और रोग को समाप्त कर देना चाहिए।

19. शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाए रखें।

20. शेर भूखा होने पर भी तिनका नहीं खाता।

21. एक ही देश के दो शत्रु परस्पर मित्र होते है।

22. आपातकाल में स्नेह करने वाला ही मित्र होता है।

23. मित्रों के संग्रह से बल प्राप्त होता है।

24. संकट में बुद्धि ही काम आती है।

25. लोहे को लोहे से ही काटना चाहिए।

26. यदि माता दुष्ट है तो उसे भी त्याग देना चाहिए।

27. यदि स्वयं के हाथ में विष फ़ैल रहा है, तो उसे काट देना चाहिए।

28. सांप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत।

29. जो धैर्यवान नहीं है, उसका न वर्तमान है न भविष्य।

30. एक बुरे मित्र पर तो कभी विश्वास ना करें। एक अच्छे मित्र पर भी विश्वास ना करें क्योंकि यदि ऐसे लोग आपसे रुष्ट होते हैं तो आप के सभी राज से पर्दा खोल देंगे।

31. एक विपरीत स्वाभाव का परम हितैषी व्यक्ति, उन सौ लोगों से श्रेष्ठ है, जो आपकी चापलूसी करते है।

32. संतोष सब बड़ा धन है।

33. दुष्ट व्यक्ति का कितना भी सम्मानित कर लें, वह सदा दुःख ही देता है।

34. भूख के समान कोई दूसरा शत्रु नहीं है।

35. विद्या  ही गरीब का धन है।

36.विद्या को चोर भी नहीं चुरा सकता।

37. शत्रु के गुण को भी अपनाना चाहिए।

38. सभी प्रकार के भय में बदनामी का भय सबसे बड़ा होता है।

39. किसी लक्ष्य की सिद्धि में कभी शत्रु का साथ न ले।

40. संगति का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है।

41. सत्य भी यदि अनुचित है तो उसे नहीं कहना चाहिए।

42. दोषमुक्त कार्यों का होना दुर्लभ होता है।

43. चंचल चित वालो के कार्य कभी समाप्त नहीं होते।

44. भाग्य पुरुषार्थी के पीछे चलता है।

45. शत्रु दण्डनीति के ही योग्य है।

46. कठोर बोली अग्निदाह से भी अधिक तीव्र दुःख पहुंचाती है।

47. जिसकी आत्मा संयमित होती है, वही आत्मविजयी होता है।

48. धूर्त व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की सेवा करते हैं।

49. मन में सोचे हुए कार्य को किसी के सामने प्रकट ना करें बल्कि  मननपूर्वक उसकी सुरक्षा करते हुए उसे कार्य में परिणित कर दें।

50. दीपक अंधेरे का भक्षण करता है इसलिए काला धुआ बनता है। इसी प्रकार हम जिस प्रकार का अन्य खाते हैं। माने सात्विक, राजसिक, तामसिक उसी प्रकार के विचार उत्पन्न करते हैं।

51. इस संसार में किसका घर है जिस पर कोई कलंक नहीं, वह कौन है जो रोग और दुख से मुक्त है?सदा सुख किसको रहता है?

52. रूप और यौवन से संपन्न तथा कुलीन परिवार में जन्म लेने पर भी विद्याहीन पुरुष परास के फूल के समान हैं जो सुंदर है लेकिन खुशबू रहित है।

53. अत्यधिक सुंदरता के कारण सीता हरण हुआ, अत्यंत घमंड के कारण रावण का अंत हुआ, अत्यधिक दान के कारण राजा बलि को बंधन में बंधना पड़ा, अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए।

54. ऐसे अनेक पुत्र किस काम के जो दुख और निराशा पैदा करें। इससे तो वो एक ही पुत्र अच्छा है जो संपूर्ण घर को सहारा और शांति प्रदान करें।

55. 5 वर्ष तक पुत्र को लाड प्यार से पालना चाहिए, 10 वर्ष तक उसे छड़ी की मार से डराएं लेकिन जब 16 वर्ष का हो जाए तो उससे मित्र के समान व्यवहार करें।

56. जो व्यक्ति पैसों के हिसाब किताब में, ज्ञान अर्जन करने में और काम धंधा में शर्माता नहीं है, वह सुखी हो रहता है।

57. इंसान को तीन चीजों से संतुष्ट रहना चाहिए..
a. खुद की पत्नी
b. वह भोजन जो विधाता ने प्रदान किया
c. उतना ही धन जितना कि इमानदारी से मिले।

58. इन दोनों के बीच में कभी ना आए.. ....दो ब्राह्मणो, ब्राह्मण और उसके यज्ञ में चलने वाली अग्नि, पति पत्नी, स्वामी और चाकर, हल और बैल।

59. हाथी से हजार गज की दूरी रखें, घोड़े से सौ गज की, सींग वाले जानवर से दस गज की। लेकिन दुष्ट जहां हो उस जगह से ही निकल जाए।

60. विद्या अर्जन करना एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है। वह विदेश में मां के समान रक्षक और हितकारी होती है। इसलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है।

61. गधे से तीन बात सीखें:
a. अपना बोझ ढोना ना छोड़े,
b. सर्दी में गर्मी की चिंता ना करें,
c. सदा संतुष्ट रहे।

62. सैकड़ों गुणरहित पुत्रों से अच्छा एक गुणी पुत्र है क्योंकि एक चंद्रमा ही रात्रि के अंधकार को भगाता है न की असंख्य तारे ।

63. यह सब आपके पिता है......
a. जिसने आपको जन्म दिया
b. जिसने आपको यज्ञोपवीत संस्कार दिया
c. जिसने आपको पढाया
d. जिसने आपको भोजन दिया
e.जिसने आपको भयपूर्ण परिस्थितियों से बचाया।

64. इन सबको अपनी माता समझे..
a. राजा की पत्नी
b. गुरु की पत्नी 
c.मित्र की पत्नी
d. पत्नी की मां
e. अपनी मां

65. जिस प्रकार फूल में खुशबू है, तील में तेल है, लकड़ी में अग्नि है, दूध में घी है, गन्ने में गुड़ है,उसी प्रकार यदि आप ठीक से देखते हो तो हर व्यक्ति में परमात्मा है।

66. एक अनपढ़ आदमी की जिंदगी किसी कुत्ते की पूंछ की तरह बेकार है। इससे ना इसकी इज्जत ढकती है और ना ही कीड़े मकोड़े व मक्खियों को भगाने के काम आती है।

67. वह व्यक्ति जिसके पास धन है उसके पास मित्र और संबंधी बहुत रहते हैं। वही इस दुनिया में टिक पाता है और उसी को इज्जत मिलती है।

68. एक विद्यार्थी को पूर्ण रुप से  निम्नलिखित बातों का परित्याग कर देना चाहिए .....क्रोध, काम, लोभ, स्वादिष्ट भोजन की अपेक्षा, शरीर का श्रृंगार, अत्यधिक जिज्ञासा, अधिक निद्रा, शरीर निर्वाह के लिए अधिक प्रयास।



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