महावीर स्वामी के अनमोल विचार Mahavir Swami Quotes in Hindi
1. किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने वास्तविक रूप को न पहचानना है , और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है।
2. प्रत्येक जीव स्वतंत्र है, कोई किसी अन्य पर निर्भर नहीं करता।
3. भगवान का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है।हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास करके देवत्त्व प्राप्त कर सकता है।
4. आपातकाल में मन को डगमगाना नहीं चाहिये।
5. क्या तुम लोहे की धधकती छड़ सिर्फ इसलिए अपने हाथ में पकड़ सकते हो क्योंकि कोई तुम्हे ऐसा करना चाहता है ?तब , क्या तुम्हारे लिए ये सही होगा कि तुम सिर्फ अपनी इच्छा पूरी करने के लिए दूसरों से ऐसा करने को कहो।यदि तुम अपने शरीर या दिमाग पर दूसरों के शब्दों या कृत्यों द्वारा चोट बर्दाश्त नहीं कर सकते हो, तो तुम्हे दूसरों के साथ अपने शब्दों या कृत्यों द्वारा ऐसा करने का अधिकार क्यो है ?
6. प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है।आनंद बाहर से नहीं आता।
7. आत्मा अकेले आती है, अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है और न कोई उसका मित्र बनता है।
8. खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।
9. आपकी आत्मा से बाहर कोई भी शत्रु नहीं है।असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु है क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत।
10. स्वयं से लड़ो , बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना ?वह जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेगा, उसे आनंद की प्राप्ति होगी।
11. एक व्यक्ति जलते हुए जंगल के मध्य में एक ऊँचे वृक्ष पर बैठा है।वह सभी जीवित प्राणियों को मरते हुए देखता है।लेकिन वह यह नहीं समझता की जल्द ही उसका भी यही हश्र होने वाला है।वह आदमी मूर्ख है।
12. अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।
13. सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं और वे खुद अपनी गलती सुधार कर खुश हो सकते हैं।
14. सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है।
15. प्रत्येक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो।घृणा से विनाश होता है।
16. शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है।
17. पर दुख को जो दुख न माने,पर पीड़ा में सदय न हो।
सब कुछ दो पर प्रभु किसी को,जग में ऐसा हृदय न दो।
18. सुखी जीवन जीने के लिए दो बातें हमेशा याद रखें :-
(a) अपनी मृत्यु
(b) भगवान
19. किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ।
शांतिपूर्वक जिओ और दुसरो को भी जीने दो।
20. आपने कभी किसी का भला किया हो तो उसे भूल जाओ और कभी किसी ने आपका बुरा किया हो तो उसे भी भूल जाओ।
21. अध्रुव आश्वस्त और दुख बहूल संसार में कौन सा कर्म है, जिसे मैं दुर्गति में न जाऊं?
22. जीव कर्मों का बंधन करने में स्वतंत्र है; परंतु उस कर्म का उदय होने पर भोगने में उसके अधीन हो जाता है। जैसे कोई स्वेच्छा से वृक्ष पर चढ़ तो जाता है, परंतु प्रमोद वश नीचे गिरते समय परवश हो जाता है।
23. ज्ञानी, मित्रवर्ग, पुरुष और बांधव उसका दुख नहीं बांट सकते। वह स्वयं अकेला दु:ख का अनुभव करता है क्योंकि कर्म कर्ता का अनुगमन करता है।
24. यह काम भोग क्षणभर सुख और चिरकाल दुख देने वाले हैं, बहुत दु:ख और थोड़ी सुख देने वाले हैं, मुक्ति के विरोधी और आनर्थो की खान हैं।
25. जन्म दु:ख है, बुढ़ापा दु:ख है, रोग दु:ख है और मृत्यु दु:ख है और संसार दुख ही है, जिसमें जीव क्लेश पा रहे हैं।
26. बहुत खोजने पर भी जैसे केले के पेड़ में कोई सार दिखाई नहीं देता, वैसे ही इंद्रीय में विषयों में भी कोई सुख दिखाई नहीं देता।
27. संसारी जीव के (राग द्वेषी रूपी) परिणाम होते हैं। परिणामों के कर्म बंधन होते है। कर्म बंधन के कारण जीव गतियों में गमन करता है--जन्म लेता है। जन्म से शरीर और शरीर से इंद्रियां प्राप्त होती है। उनसे जीव खुशियों को ग्रहण करता है।उससे फिर द्वेष पैदा होता है। इस प्रकार जीव संसार चक्र में परिभ्रमण करता है। उसके परिभ्रमण हेतु परिणाम (सम्यक दृष्टि उपलब्ध ना होने पर) अनादि--अनंत और (सम्यक दृष्टि भी उपलब्ध होने पर) अनादि शांत होता है।
24. यह काम भोग क्षणभर सुख और चिरकाल दुख देने वाले हैं, बहुत दु:ख और थोड़ी सुख देने वाले हैं, मुक्ति के विरोधी और आनर्थो की खान हैं।
25. जन्म दु:ख है, बुढ़ापा दु:ख है, रोग दु:ख है और मृत्यु दु:ख है और संसार दुख ही है, जिसमें जीव क्लेश पा रहे हैं।
26. बहुत खोजने पर भी जैसे केले के पेड़ में कोई सार दिखाई नहीं देता, वैसे ही इंद्रीय में विषयों में भी कोई सुख दिखाई नहीं देता।
27. संसारी जीव के (राग द्वेषी रूपी) परिणाम होते हैं। परिणामों के कर्म बंधन होते है। कर्म बंधन के कारण जीव गतियों में गमन करता है--जन्म लेता है। जन्म से शरीर और शरीर से इंद्रियां प्राप्त होती है। उनसे जीव खुशियों को ग्रहण करता है।उससे फिर द्वेष पैदा होता है। इस प्रकार जीव संसार चक्र में परिभ्रमण करता है। उसके परिभ्रमण हेतु परिणाम (सम्यक दृष्टि उपलब्ध ना होने पर) अनादि--अनंत और (सम्यक दृष्टि भी उपलब्ध होने पर) अनादि शांत होता है।
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