Mirza Ghalib के अनमोल विचार Mirza Ghalib Quotes in Hindi

                                   

1. उनके देखे से जो आ जाती है मन पर रौनक,
वो समझते हैं, बीमार का हाल अच्छा है।

2. मुस्कान बनाए रखो तो सब साथ हैं ग़ालिब,
वरना आंसुओं को तो आंखों में भी पनाह नहीं मिलती।

3. आता है कौन-कौन तेरे गम को बांटने गालिब,
तुम अपनी मौत की अफवाह उड़ा के देख।

4. रात दिन गर्दिश में है सातों आसमां,
हो रहेगा कुछ न कुछ घबराएं क्या!

5. उड़ने दे परिंदों को आज़ाद फ़िज़ा में ग़ालिब,
जो तेरे अपने होंगे वो लौट आएंगे।

6. हाथों की लकीरों पे, मत जा- ए- ग़ालिब; किस्मत उनकी भी होती है, जिनके हाथ नहीं होते।

7. सुना है वह दुख में होते हैं तो मुझे याद करते हैं ग़ालिब.,
कि अब मैं उसके लिए खुशी की दुआ करूं या गम की..!

8. हम तो फना हो गए उनकी आंखे देखकर ग़ालिब,
ना जाने वो आइने कैसे देखते होंगे...!

9. हैरां हूं तुझे मस्जिद में देखकर ग़ालिब,
ऐसा भी क्या हुआ जो खुदा याद आ गया।

10. गुजर जाएगा ये दौर भी ग़ालिब ज़रा इत्मीनान तो रख;
जब ख़ुशी ही ना ठहरी तो ग़म की क्या औकात है..!

11. कुछ इस तरह मैंने ज़िंदगी को आसां कर लिया;
किसी से माफी मांग ली, किसी को माफ कर दिया।

12. रहने दे मुझे इन अंधेरों में 'ग़ालिब' कमबख्त रोशनी में अपनों के असली चेहरे सामने आ जाते हैं।

13. जाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठकर
या वो जगह बता जहां खुदा नहीं...।

14. हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज-ए- बयां और..।

15. जब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ ग़ालिब,
ज़ख्म का एहसास तब हुआ जब कमान देखी अपनों के हाथों में...।

16. हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले;
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।

17. चांदनी रात के खामोश सितारों की क़सम,
दिल में अब तेरे सिवा कोई भी आबाद नहीं।

18. हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल के खुश रखने को ग़ालिब,
ये ख्याल अच्छा है।

19. दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
आखिर इस दर्द की दवा क्या है?

20. जिंदगी उसकी जिसकी मौत पे जमाना अफसोस करे ग़ालिब;
यूं तो हर शख्स आते हैं इस दुनिया में मरने के लिए।

21. कहते हैं जिसको इश्क,
खराबी है दिमाग की।

22. मेहरबां हो के बुला लो, मुझे चाहो जिस वक़्त,
मैं गया वक़्त नहीं हूं कि फिर आ भी ना सकूं।

23. किसी की क्या मजाल थी जो हमें खरीद सकता,
हम तो खुद ही बिक गये, खरीदार देख  के।

24. रफ्तार कुछ जिंदगी की यूं बनाए रख ग़ालिब,
कि दुश्मन भले आगे निकल जाए पर दोस्त कोई पीछे न छूटे।

25. इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया,
वरना हम भी आदमी थे काम के।

26. ये चंद दिनों की दुनिया है यहां संभल के चलना ग़ालिब,
यहां पलकों पर बिठाया जाता है नजरों से गिराने के लिए!

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